Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Aug 2022 · 1 min read

मुख भा रहा

मुख भा रहा
**********
कुछ आ रहा,
कुछ जा रहा।

जादू हुआ,
मन छा रहा।

सुन्दर लगा,
मुख भा रहा।

देखा तुझे,
घबरा रहा।

कैसे कहूँ,
शरमा रहा,

कुछ तो बता,
धमका रहा।

सीरत बहुत,
सह पा रहा।
***********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
147 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Loading...