मुखौटे
आज मुखौटे
धडाधड बिक रहे हैं क्योंकि
प्रत्येक व्यक्ति को इनकी आवश्यकता है
आज प्रत्येक का मूल्यांकन
उसके मुखौटे के. आधार पर होता है
सुन्दर, चिकने मुखौटे का दाम ज्यादा
दूसरे का कम होता है ,
किसी में इतना साहस नहीं
कि- वह किसी का
मुखौटा उतार
ज़रा उसके
वास्तविक रूप को तो देखे
अगर कोई साहस करे मी
इस दुष्कर कार्य करने का
तो उसे स्वयं अपने चेहरे
पर मुखौटा लगाना पड़ता है
और फिर
माग एक मुखौटे से काम चल जाए
ऐसा भी नहीं-
वह तो हर बदलती परिस्थिति के अनुसार
अनुकूल जान
बदलना पड़ता है
सभी अपेक्षित भावों को
उसमें भरना पड़ता है
मगर ऐ ! मुखौटों की दुनिया !!
क्या तुमने कभी उनके बारे भी सोचा –
जिन्हें ये मुखौटे प्राप्त नहीं-
परन्तु तू क्यों कर उसकी चिन्ता –
यह बात भी तेरे ही हित में तो है-
क्योंकि
उन्हें तेरा मुखौटा उतारने का कभी
साहस नहीं होगा,
और स्वयं गुस्खौटा लगाना उन्हें
कभी संभव नहीं होगा
यही तो है तेरी प्रभुता का एक मात्र कारण- भिन्न-भिन्न मनोभावों को
प्रदर्शित करने वाले –
भिन्न-भिन्न परिस्थिति अनुकूल
अनेक मुखौटे
परन्तु मत भू…ल…ना
मु…खौ…टे आखिर मु…खौ…टे हैं.