मुखौटा
#काव्यात्रा
#मुखौटा
०९/०७/२०२२
हैं कुछ चहरे अपने मुखौटों के सताए हुए ।
खुद अपने जख्मों पे नमक लगाए हुए ।।
अमूमन हैं चहरे पे मुखौटा लगाने वाले ।
कुछ तो हैं मुखौटे पे चहरा लगाए हुए ।।
खासमखासों में खास कोईभी शक्श नहीं ।
उतारा मौखौटा तो अपने भी पराए हुए ।।
बेमुखौटा शक्श देखने को तलबगार है नज़र ।
क्या तुम,क्या ज़माना सब है आजमाए हुए ।।
किसी ने नकाब तो किसी ने फरेब ओढ़ा ।
हमें बताओ तो कौन हैं बिना मुखौटा लगाए हुए ।।
संदीप सागर (चिराग)
लहरा _ फर्रुखाबाद
७८६०२३२३१३