मुखोटे
शरीर बिक गया जमीर बिक गया,
अब इंसान से इंसान होने की आशा मत करो ,
गली के नुक्कड पर लगा के बैठे थे हम भी दुकान मुखौटो वाली,
श्याम तक पता चला वो नुक्कड़ भी बिक गया।
शरीर बिक गया जमीर बिक गया,
अब इंसान से इंसान होने की आशा मत करो ,
गली के नुक्कड पर लगा के बैठे थे हम भी दुकान मुखौटो वाली,
श्याम तक पता चला वो नुक्कड़ भी बिक गया।