मुक्तक
“चाह यही है मेरी लेखनी,सरस मधुर रसधार बने,
वक़्त पड़े तो शब्द गरजते वीरों की हुंकार बने,
भारत माँ के अर्चन से अधरों का श्रृंगार करें,
देश द्रोहियों के खातिर मेरी रचना तलवार बनें “
“चाह यही है मेरी लेखनी,सरस मधुर रसधार बने,
वक़्त पड़े तो शब्द गरजते वीरों की हुंकार बने,
भारत माँ के अर्चन से अधरों का श्रृंगार करें,
देश द्रोहियों के खातिर मेरी रचना तलवार बनें “