मुक्तक
“कुछ राज था वो जिसको छिपाकर चले गये
मुझसे वो जनाब मुझको चुराकर चले गये
आये थे दिल की प्यास बुझाने के वास्ते
इक आग सी वो और लगा कर चले गये “
“कुछ राज था वो जिसको छिपाकर चले गये
मुझसे वो जनाब मुझको चुराकर चले गये
आये थे दिल की प्यास बुझाने के वास्ते
इक आग सी वो और लगा कर चले गये “