मुक्तक
मुक्तक-
नज़र झुकाकर गलियों से जो,आया जाया करते हैं।
कभी भूलकर चाहत को वे, नहीं नुमाया करते हैं।
सब देख फिदा हो जाते हैं,उनकी इन्हीं अदाओं को,
बैठे- बैठे लोग बात कर ,दिल बहलाया करते हैं।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय