मुक्तक
मेरी नज़र के सामने साक़ी को रहने दो।
हाथों में जाम है मगर बाक़ी को रहने दो।
धधक रही हैं तस्वीरें यादों की दिल में-
चाहत की ज़ेहन में झांकी को रहने दो।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
मेरी नज़र के सामने साक़ी को रहने दो।
हाथों में जाम है मगर बाक़ी को रहने दो।
धधक रही हैं तस्वीरें यादों की दिल में-
चाहत की ज़ेहन में झांकी को रहने दो।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय