मुक्तक
देख उसको ख़ुदा सोचता रह गया
उसके होठों पे कुछ काँपता रह गया
जिस तरह जी सकें जिंदगी को जियें
आजकल बस यही फ़लसफ़ा रह गया।
देख उसको ख़ुदा सोचता रह गया
उसके होठों पे कुछ काँपता रह गया
जिस तरह जी सकें जिंदगी को जियें
आजकल बस यही फ़लसफ़ा रह गया।