मुक्तक
‘बेवफाई’
गैर के साथ चले राह कई भूल गए।
आशिकी को न समझ पाए कभी भूल गए।
है अजब इश्क जुदाई न सही जाए सनम-
जो हमें याद रहे आज वही भूल गए।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर
‘बेवफाई’
गैर के साथ चले राह कई भूल गए।
आशिकी को न समझ पाए कभी भूल गए।
है अजब इश्क जुदाई न सही जाए सनम-
जो हमें याद रहे आज वही भूल गए।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर