मुक्तक
आदमी जैसे घिरा है अजगरों के बीच,
चंदन सी ज़िंदगी है विषधरों के बीच,
ख़ुद ही अब बताएंगे कि हम ख़ुदा नहीं,
आज गुफ़्तगू हुई ये पत्थरों के बीच….
आदमी जैसे घिरा है अजगरों के बीच,
चंदन सी ज़िंदगी है विषधरों के बीच,
ख़ुद ही अब बताएंगे कि हम ख़ुदा नहीं,
आज गुफ़्तगू हुई ये पत्थरों के बीच….