मुक्तक
महल बनाने को ख़्वाहिश में हमारे घर ले गए,
छीन कर झोंपड़ हमारे कुछ सिकन्दर ले गए,
मैंने अपने साल भर के सारे मौसम खो दिए,
कहने को तो दीवार से सिर्फ कैलेण्डर ले गए।
महल बनाने को ख़्वाहिश में हमारे घर ले गए,
छीन कर झोंपड़ हमारे कुछ सिकन्दर ले गए,
मैंने अपने साल भर के सारे मौसम खो दिए,
कहने को तो दीवार से सिर्फ कैलेण्डर ले गए।