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14 Sep 2018 · 1 min read

मुक्तक

चलाना ज़ोर फूलों पर बहुत आसान है साहिब
मैं डाली ख़ार वाली हूँ मुझे पकड़ो नफ़ासत से,
परिंदा शाम को फिर से क़फ़स में लौट आया है
न जाने कौन सा रिश्ता निभाता है हिरासत से।

Language: Hindi
246 Views
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