मुक्तक
इश्क प्यार की मूरत हो जब ,
मर्यादा के राम बनें ।
बना रहे हम रति हैं जिसको ,
उसके खातिर काम बनें ।
साथी मीत भले कुछ कह लें ,
नाते हैं केवल दिल के ।
राधा रानी उसे बनाने ,
हम भी तो घनश्याम बनें ।।
इश्क प्यार की मूरत हो जब ,
मर्यादा के राम बनें ।
बना रहे हम रति हैं जिसको ,
उसके खातिर काम बनें ।
साथी मीत भले कुछ कह लें ,
नाते हैं केवल दिल के ।
राधा रानी उसे बनाने ,
हम भी तो घनश्याम बनें ।।