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12 Aug 2018 · 1 min read

मुक्तक

लोकतंत्र के मंदिर को औज़ार बना डाला,
कोई मछली बिकने का बाज़ार बना डाला,
अब जनता को संसद भी प्रपंच दिखाई देती है,
नौटंकी करने वालों का मंच दिखाई देती है।

Language: Hindi
183 Views
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