मुक्तक
2212 2212 2212 2212
ये भूल मानव की कहूँ ,या काल की मैं क्रूरता।
मानव मगर इस चीज़ को,कहता रहा है वीरता।।
कैसे कहें भगवान हम पर रूठ जाता है कभी।
कब मानता मानव बताओ देवता की धीरता।।
?????????????
भाऊराव महंत “भाऊ”
2212 2212 2212 2212
ये भूल मानव की कहूँ ,या काल की मैं क्रूरता।
मानव मगर इस चीज़ को,कहता रहा है वीरता।।
कैसे कहें भगवान हम पर रूठ जाता है कभी।
कब मानता मानव बताओ देवता की धीरता।।
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भाऊराव महंत “भाऊ”