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23 Nov 2016 · 1 min read

मुक्तक

समंदर के किनारों पर निशां गर हम बनायेंगे
मगर उसकी लहर को हम कभी क्या रोक पायेंगे।
निशानी रेत पर रहती नहीं समझा करो “भाऊ”
लहर चलते समंदर की, सभी कुछ हम गवायेंगे।।

Language: Hindi
340 Views
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