मुक्तक
मुक्तक –
कौन यह कहता है कि ख्वाब तो झूठे होते हैं ।
इनसे ही तो पथ, जीवन के अनूठे होते हैं ।
साकार हो जाती हैं अनेक आशाएँ हमारी,
मुस्कुराते हैं वे भाग्य भी जो रूठे होते हैं ।
मुक्तक –
कौन यह कहता है कि ख्वाब तो झूठे होते हैं ।
इनसे ही तो पथ, जीवन के अनूठे होते हैं ।
साकार हो जाती हैं अनेक आशाएँ हमारी,
मुस्कुराते हैं वे भाग्य भी जो रूठे होते हैं ।