मुक्तक
हुए दिल के मेरे टुकड़े उसूलों की रवायत में।
सिला देखो मिली हमको सदा गुरबत सदाक़त में।।
जिये कैसे अना के साथ कोई इस ज़माने में।
न पूछो दर्द दिल का अब लुटा राही शराफ़त में।।
(अनिल कुमार राही)
हुए दिल के मेरे टुकड़े उसूलों की रवायत में।
सिला देखो मिली हमको सदा गुरबत सदाक़त में।।
जिये कैसे अना के साथ कोई इस ज़माने में।
न पूछो दर्द दिल का अब लुटा राही शराफ़त में।।
(अनिल कुमार राही)