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7 Jul 2018 · 1 min read

मुक्तक

हुए दिल के मेरे टुकड़े उसूलों की रवायत में।
सिला देखो मिली हमको सदा गुरबत सदाक़त में।।

जिये कैसे अना के साथ कोई इस ज़माने में।
न पूछो दर्द दिल का अब लुटा राही शराफ़त में।।

(अनिल कुमार राही)

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 311 Views
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