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24 Jun 2018 · 1 min read

मुक्तक

तेरा अश्के-गम आँखों से बह रहा है।
मेरी बेबसी को चुपचाप कह रहा है।
चाहते-दीदार में ठहरी है तिश्नगी,
ख्वाबों की चुभन को मुद्दत से सह रहा है।

मुक्तककार – #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
245 Views
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