मुक्तक
तेरा अश्के-गम आँखों से बह रहा है।
मेरी बेबसी को चुपचाप कह रहा है।
चाहते-दीदार में ठहरी है तिश्नगी,
ख्वाबों की चुभन को मुद्दत से सह रहा है।
मुक्तककार – #मिथिलेश_राय
तेरा अश्के-गम आँखों से बह रहा है।
मेरी बेबसी को चुपचाप कह रहा है।
चाहते-दीदार में ठहरी है तिश्नगी,
ख्वाबों की चुभन को मुद्दत से सह रहा है।
मुक्तककार – #मिथिलेश_राय