मुक्तक
ज़रा सच बोलना चाहें तो अपने रूठ जाते हैं।
यहाँ प्यासों से अक्सर ही समंदर छूट जाते हैं।।
जहाँ पर ख्वाब बिकते हों हकीकत के लिफाफों में।
वहां अक्सर हकीकत के पसीने छूट जाते हैं।।
©आलोचक
ज़रा सच बोलना चाहें तो अपने रूठ जाते हैं।
यहाँ प्यासों से अक्सर ही समंदर छूट जाते हैं।।
जहाँ पर ख्वाब बिकते हों हकीकत के लिफाफों में।
वहां अक्सर हकीकत के पसीने छूट जाते हैं।।
©आलोचक