मुक्तक
वो दर्द वो खामोशी का मंजर नहीं बदला!
तेरी अदा-ए-हुस्न का खंजर नहीं बदला!
शामों-सहर चुभते रहते हैं तीर यादों के,
मेरी तन्हाई का वो समन्दर नहीं बदला!
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
वो दर्द वो खामोशी का मंजर नहीं बदला!
तेरी अदा-ए-हुस्न का खंजर नहीं बदला!
शामों-सहर चुभते रहते हैं तीर यादों के,
मेरी तन्हाई का वो समन्दर नहीं बदला!
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय