मुक्तक
[जल से जीवन ]
जल सूनो वारि बिन दल बिन पेड़ सूनो ,
कानन सूनो पेड़ बिन, शशि बिन रात है ।
कूप सूनो जल बिन,नृप बिन राज सूनो,
बाग सूनो सुमन बिन, वर बिन बरात है ।
मठ सूनो देव बिन,नार बिन घर सूनो ,
बादल बिन बिजली,सूनी बरसात है ।
ताल सूनो जल बिन, लाल बिन कुल सूनो,
प्रहरी बिन राज सूनो सदा हो जात है ।
[अनमोल जल ]
जल महा अनमोल,भैया बेच रहे तोल ।
जल बिन जग जीव की,जिंदगी कौन काम की ।।
जल को मान करो,बिरथा न बरबाद करो ।
जल को तरसे जीव,कीमत जानत बारी की ।।
जल से बनो जीवन,जीव-जन्तु और पादप ।
जल को बचाएँ रखौ,जान खास-आम की ।।
अरे नर -नारी तुम,पानी को जातन करो ।
जल गए परलोक तो,कूच करो शमसान की ।।
शेख जाफर खान