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30 May 2018 · 1 min read

मुक्तक

अब चाहतों के हमको नजारे नहीं मिलते!
अब ख्वाहिशों के हमको इशारे नहीं मिलते!
हर वक्त ढूंढ लेती है तन्हाई दर्द की,
अब हौसलों के हमको सहारे नहीं मिलते!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
248 Views
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