मुक्तक
दर्द के फूल पिरो कर प्रीत डोर में ।
टाँक यादों के मोती ओर- छोर में ।
यूँ गुँथी पवित्र बंधन की माला,
फैलाती सुगंध प्रिय चहुँ ओर में ।
दर्द के फूल पिरो कर प्रीत डोर में ।
टाँक यादों के मोती ओर- छोर में ।
यूँ गुँथी पवित्र बंधन की माला,
फैलाती सुगंध प्रिय चहुँ ओर में ।