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12 May 2018 · 1 min read

मुक्तक

मैं जी रहा हूँ तुमको पाने की आस लिए!
मैं जी रहा हूँ सीने में तेरी प्यास लिए!
यादें बंधी हुई हैं साँसों की डोर से,
चाहत के रंगों में तेरा एहसास लिए!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
437 Views
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