मुक्तक
होंठो पर मुस्कान नहीं है, नम आँखें हैं, बस क्रन्दन है,
ह्रदय द्रवित है हर मानव का, कराह रहा उर स्पंदन है।
कई गुना बेहतर था वह कल, जिसमें हर पल खुशहाली थी,
आज सम्रद्धि होने पर भी, घुटन भरा लगता जीवन है।।
-विपिन शर्मा
होंठो पर मुस्कान नहीं है, नम आँखें हैं, बस क्रन्दन है,
ह्रदय द्रवित है हर मानव का, कराह रहा उर स्पंदन है।
कई गुना बेहतर था वह कल, जिसमें हर पल खुशहाली थी,
आज सम्रद्धि होने पर भी, घुटन भरा लगता जीवन है।।
-विपिन शर्मा