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1 Feb 2018 · 1 min read

मुक्तक

होंठो पर मुस्कान नहीं है, नम आँखें हैं, बस क्रन्दन है,
ह्रदय द्रवित है हर मानव का, कराह रहा उर स्पंदन है।
कई गुना बेहतर था वह कल, जिसमें हर पल खुशहाली थी,
आज सम्रद्धि होने पर भी, घुटन भरा लगता जीवन है।।
-विपिन शर्मा

Language: Hindi
332 Views
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