Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Feb 2018 · 1 min read

मुक्तक

होंठो पर मुस्कान नहीं है, नम आँखें हैं, बस क्रन्दन है,
ह्रदय द्रवित है हर मानव का, कराह रहा उर स्पंदन है।
कई गुना बेहतर था वह कल, जिसमें हर पल खुशहाली थी,
आज सम्रद्धि होने पर भी, घुटन भरा लगता जीवन है।।
-विपिन शर्मा

Language: Hindi
334 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
यह कैसा आया ज़माना !!( हास्य व्यंग्य गीत गजल)
यह कैसा आया ज़माना !!( हास्य व्यंग्य गीत गजल)
ओनिका सेतिया 'अनु '
***नयनों की मार से बचा दे जरा***
***नयनों की मार से बचा दे जरा***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जबसे हम चार पैसे कमाने लगे हैं
जबसे हम चार पैसे कमाने लगे हैं
नूरफातिमा खातून नूरी
दो शे'र ( चाँद )
दो शे'र ( चाँद )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
छलावा
छलावा
Sushmita Singh
"मेरे गीत"
Dr. Kishan tandon kranti
अज़ीज़ टुकड़ों और किश्तों में नज़र आते हैं
अज़ीज़ टुकड़ों और किश्तों में नज़र आते हैं
Atul "Krishn"
*कमबख़्त इश्क़*
*कमबख़्त इश्क़*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
23/182.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/182.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मन की मनमानी से हारे,हम सब जग में बेचारे।
मन की मनमानी से हारे,हम सब जग में बेचारे।
Rituraj shivem verma
इतनी धूल और सीमेंट है शहरों की हवाओं में आजकल
इतनी धूल और सीमेंट है शहरों की हवाओं में आजकल
शेखर सिंह
धरा और इसमें हरियाली
धरा और इसमें हरियाली
Buddha Prakash
संयुक्त परिवार
संयुक्त परिवार
विजय कुमार अग्रवाल
पाने की चाहत नहीं हो
पाने की चाहत नहीं हो
Sonam Puneet Dubey
आसमां में चाँद छुपकर रो रहा है क्यूँ भला..?
आसमां में चाँद छुपकर रो रहा है क्यूँ भला..?
पंकज परिंदा
शायरी 2
शायरी 2
SURYA PRAKASH SHARMA
हुनर का नर गायब हो तो हुनर खाक हो जाये।
हुनर का नर गायब हो तो हुनर खाक हो जाये।
Vijay kumar Pandey
"बेचारी की फ़ितरत में, राग़ नहीं है ग़म वाला।
*प्रणय*
तेवरी इसलिए तेवरी है [आलेख ] +रमेशराज
तेवरी इसलिए तेवरी है [आलेख ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
दोपाया
दोपाया
Sanjay ' शून्य'
कोई पूछे मुझसे
कोई पूछे मुझसे
Swami Ganganiya
जिज्ञासा
जिज्ञासा
Neeraj Agarwal
#कमसिन उम्र
#कमसिन उम्र
Radheshyam Khatik
आ जाओ
आ जाओ
हिमांशु Kulshrestha
ग़ज़ल _गई अब वो गर्मी 🌹🌾
ग़ज़ल _गई अब वो गर्मी 🌹🌾
Neelofar Khan
गल माला है काठ की,
गल माला है काठ की,
sushil sarna
प्रेम का प्रदर्शन, प्रेम का अपमान है...!
प्रेम का प्रदर्शन, प्रेम का अपमान है...!
Aarti sirsat
ये जो उच्च पद के अधिकारी है,
ये जो उच्च पद के अधिकारी है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*कहर  है हीरा*
*कहर है हीरा*
Kshma Urmila
अपना भी एक घर होता,
अपना भी एक घर होता,
Shweta Soni
Loading...