मुक्तक
छप्पन इंची छाती वाले ख़ून के आँसू रोए होते,
अब तक बदला ले लेते, ना सत्तामद में खोए होते।
होता ये एहसास तुम्हें भी, दर्द मौत का क्या होता है,
गर तुम भी बूढ़े कंधों पर, शव बेटे का ढोए होते।।
-विपिन शर्मा
छप्पन इंची छाती वाले ख़ून के आँसू रोए होते,
अब तक बदला ले लेते, ना सत्तामद में खोए होते।
होता ये एहसास तुम्हें भी, दर्द मौत का क्या होता है,
गर तुम भी बूढ़े कंधों पर, शव बेटे का ढोए होते।।
-विपिन शर्मा