मुक्तक
दिल में हो गर दर्द भरा, तो होंठ भला मुस्काएं कैसे,
कोहराम चहुंओर मचा हो, तो मल्हार सुनाएं कैसे।
हरियाली तब ही आएगी, भू औ वातावरण सही हो,
हो जमीन बंजर तो बोलो, उसमें फसल उगाएं कैसे।।
©विपिन शर्मा
दिल में हो गर दर्द भरा, तो होंठ भला मुस्काएं कैसे,
कोहराम चहुंओर मचा हो, तो मल्हार सुनाएं कैसे।
हरियाली तब ही आएगी, भू औ वातावरण सही हो,
हो जमीन बंजर तो बोलो, उसमें फसल उगाएं कैसे।।
©विपिन शर्मा