मुक्तक
कबतक देखता रहूँ तुमको देखकर?
कबतक सोचता रहूँ तुमको सोचकर?
हर साँस गुजरती है मेरे जिस्म की,
मेरे लबों की राह से दर्द बनकर!
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
कबतक देखता रहूँ तुमको देखकर?
कबतक सोचता रहूँ तुमको सोचकर?
हर साँस गुजरती है मेरे जिस्म की,
मेरे लबों की राह से दर्द बनकर!
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय