मुक्तक
गांठ दिल की तुम कहो तो खोल दूं
देख ली दुनिया बहुत क्या मोल दूं
बेमतलब तो प्यार भी होता नहीं
सीख ली है ये रवायत बोल दूं
गांठ दिल की तुम कहो तो खोल दूं
देख ली दुनिया बहुत क्या मोल दूं
बेमतलब तो प्यार भी होता नहीं
सीख ली है ये रवायत बोल दूं