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18 Aug 2021 · 1 min read

मुक्तक

सार छन्दाधारित मुक्तक–
*********************

बादर गरजे बिजली चमके,आइल प्यारा सावन।
हरियाली चहु ओर दिखेला,लागेला मनभावन।
गूँज उठे कजरी गाँवन में,पड़ल बाग में झूला,
महुअरि पाके घर-घर रूचे, सब के ई ललचावन।।

**माया शर्मा,पंचदेवरी,गोपालगंज(बिहार)**

Language: Bhojpuri
2 Likes · 2 Comments · 523 Views
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