*** मुक्तक ***
आजकल शेर मांद में शिकार करने लगे है
बाहर अब सियार हुआ हुआ करने लगे हैं
शेर के पांव में कांटा क्या चुभा कमबख़्त
जीत का शोर सिरफिरे ऐसा करने लगे हैं ।।
?मधुप बैरागी
आजकल गीदड़ भी गुड़ खा गुर्राने लगे हैं
शेर को भी हथकण्डो से यूं डराने लगे है
झुंड बना सीना तानकर बेखौफ चलते हैं
शेर निकला अब घर से तो पछताने लगे हैं।।
?मधुप बैरागी