Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Aug 2017 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक
पिलाता रोज़ है साकी नज़र का नाम होता है।
नहीं मजहब शराबी जात का बस जाम होता है।
निगाहें फेर कर जब भी दिखाई बेरुखी उसने
भुलाता दर्द ज़ख्मों का दवा का नाम होता है।
डॉ. रजनी अग्रवाल”वाग्देवी रत्ना”
संपादिका-साहित्य धरोहर
महमूरगंज, वाराणसी।(मो.-9839664017)

Language: Hindi
338 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
वीरांगना लक्ष्मीबाई
वीरांगना लक्ष्मीबाई
Anamika Tiwari 'annpurna '
2879.*पूर्णिका*
2879.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शिक्षा और अबूजा
शिक्षा और अबूजा
Shashi Mahajan
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Dear myself,
Dear myself,
पूर्वार्थ
ध्यान करने परमपिता का
ध्यान करने परमपिता का
Chitra Bisht
🙅मेरे हिसाब से🙅
🙅मेरे हिसाब से🙅
*प्रणय*
अकेले बन नहीं सकती कभी गीतों की ये लड़ियाँ !
अकेले बन नहीं सकती कभी गीतों की ये लड़ियाँ !
DrLakshman Jha Parimal
मुक्तक
मुक्तक
कृष्णकांत गुर्जर
कभी उन बहनों को ना सताना जिनके माँ पिता साथ छोड़ गये हो।
कभी उन बहनों को ना सताना जिनके माँ पिता साथ छोड़ गये हो।
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
कभी मैं सोचता था कि एक अच्छा इंसान बनना चाहिए तो दुनिया भी अ
कभी मैं सोचता था कि एक अच्छा इंसान बनना चाहिए तो दुनिया भी अ
Jitendra kumar
*जिंदगी के  हाथो वफ़ा मजबूर हुई*
*जिंदगी के हाथो वफ़ा मजबूर हुई*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बड़ा भोला बड़ा सज्जन हूँ दीवाना मगर ऐसा
बड़ा भोला बड़ा सज्जन हूँ दीवाना मगर ऐसा
आर.एस. 'प्रीतम'
कौन कमबख्त नौकरी के लिए आता है,
कौन कमबख्त नौकरी के लिए आता है,
Sanjay ' शून्य'
'न पूछो'
'न पूछो'
Rashmi Sanjay
" कठपुतली "
Dr. Kishan tandon kranti
दर्शक की दृष्टि जिस पर गड़ जाती है या हम यूं कहे कि भारी ताद
दर्शक की दृष्टि जिस पर गड़ जाती है या हम यूं कहे कि भारी ताद
Rj Anand Prajapati
संवेदना बोलती आँखों से 🙏
संवेदना बोलती आँखों से 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
वैसे अपने अपने विचार है
वैसे अपने अपने विचार है
शेखर सिंह
संस्कार
संस्कार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
मां कूष्मांडा
मां कूष्मांडा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
आने का संसार में,
आने का संसार में,
sushil sarna
हम हिंदुओ का ही हदय
हम हिंदुओ का ही हदय
ओनिका सेतिया 'अनु '
जीवन का किसी रूप में
जीवन का किसी रूप में
Dr fauzia Naseem shad
मैने देखा नहीं है कोई चाँद
मैने देखा नहीं है कोई चाँद
VINOD CHAUHAN
बुराई का अंत बहोत बुरा होता है
बुराई का अंत बहोत बुरा होता है
Sonam Puneet Dubey
मेरी हकीकत.... सोच आपकी
मेरी हकीकत.... सोच आपकी
Neeraj Agarwal
अपने मन मंदिर में, मुझे रखना, मेरे मन मंदिर में सिर्फ़ तुम रहना…
अपने मन मंदिर में, मुझे रखना, मेरे मन मंदिर में सिर्फ़ तुम रहना…
Anand Kumar
ज़िन्दगी में पहाड़ जैसी समस्याएं होती है पर,
ज़िन्दगी में पहाड़ जैसी समस्याएं होती है पर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वसंत - फाग का राग है
वसंत - फाग का राग है
Atul "Krishn"
Loading...