Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jul 2017 · 1 min read

मुक्तक

फीकी-फीकी है जिंदगी जीने में अब स्वाद कहां है
दिल तिजोरी ना रहे मुहब्बत अब जायदाद कहां है
हाल ऐ दिल समझाने में दिल हलाल ही होते हैं
खामोश धड़कनें समझाये दिल में ऐसा अनुवाद कहां है

Language: Hindi
1 Like · 306 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तेरी मुश्किल ना बढ़ूंगा,
तेरी मुश्किल ना बढ़ूंगा,
पूर्वार्थ
हर कदम प्यासा रहा...,
हर कदम प्यासा रहा...,
Priya princess panwar
जगदाधार सत्य
जगदाधार सत्य
महेश चन्द्र त्रिपाठी
दुनिया के चकाचौंध में मत पड़ो
दुनिया के चकाचौंध में मत पड़ो
Ajit Kumar "Karn"
अल्फ़ाज़ बदल गये है अंदाज बदल गये ।
अल्फ़ाज़ बदल गये है अंदाज बदल गये ।
Phool gufran
*आर्य समाज और थियोसॉफिकल सोसायटी की सहयात्रा*
*आर्य समाज और थियोसॉफिकल सोसायटी की सहयात्रा*
Ravi Prakash
...
...
*प्रणय*
मेरी दुआ है तुझे किसी की बद्दुआ न लगे।
मेरी दुआ है तुझे किसी की बद्दुआ न लगे।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
इश्क़ गुलाबों की महक है, कसौटियों की दांव है,
इश्क़ गुलाबों की महक है, कसौटियों की दांव है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शांति वन से बापू बोले, होकर आहत हे राम रे
शांति वन से बापू बोले, होकर आहत हे राम रे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बेइंतहा सब्र बक्शा है
बेइंतहा सब्र बक्शा है
Dheerja Sharma
अरब खरब धन जोड़िये
अरब खरब धन जोड़िये
शेखर सिंह
जिस प्रकार सूर्य पृथ्वी से इतना दूर होने के बावजूद भी उसे अप
जिस प्रकार सूर्य पृथ्वी से इतना दूर होने के बावजूद भी उसे अप
Chaahat
3385⚘ *पूर्णिका* ⚘
3385⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
तत्क्षण
तत्क्षण
DR ARUN KUMAR SHASTRI
#हाइकु
#हाइकु
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
Shankarlal Dwivedi passionately recites his poetry, with distinguished literary icons like Som Thakur and others gracing the stage in support
Shankarlal Dwivedi passionately recites his poetry, with distinguished literary icons like Som Thakur and others gracing the stage in support
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
गीतासार 📕
गीतासार 📕
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कन्या
कन्या
Bodhisatva kastooriya
जैसे पतझड़ आते ही कोयले पेड़ की डालियों को छोड़कर चली जाती ह
जैसे पतझड़ आते ही कोयले पेड़ की डालियों को छोड़कर चली जाती ह
Rj Anand Prajapati
नारी के चरित्र पर
नारी के चरित्र पर
Dr fauzia Naseem shad
अपने दर्द को अपने रब से बोल दिया करो।
अपने दर्द को अपने रब से बोल दिया करो।
इशरत हिदायत ख़ान
बाण मां के दोहे
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
एक कहानी सुनाए बड़ी जोर से आई है।सुनोगे ना चलो सुन ही लो
एक कहानी सुनाए बड़ी जोर से आई है।सुनोगे ना चलो सुन ही लो
Rituraj shivem verma
"मेरी बेटी है नंदिनी"
Ekta chitrangini
मैं ना जाने क्या कर रहा...!
मैं ना जाने क्या कर रहा...!
भवेश
वज़्न ---221 1221 1221 122 बह्र- बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुखंन्नक सालिम अर्कान-मफ़ऊल मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु फ़ऊलुन
वज़्न ---221 1221 1221 122 बह्र- बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुखंन्नक सालिम अर्कान-मफ़ऊल मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु फ़ऊलुन
Neelam Sharma
"वो पूछता है"
Dr. Kishan tandon kranti
बचपन याद बहुत आता है
बचपन याद बहुत आता है
VINOD CHAUHAN
कविता: मेरी अभिलाषा- उपवन बनना चाहता हूं।
कविता: मेरी अभिलाषा- उपवन बनना चाहता हूं।
Rajesh Kumar Arjun
Loading...