मुक्तक
चारों ओर नव तृणों की बहार आ गई
पर्यवरण में हर जगह मुस्कान छा गई
धरती पर फसलों की सौगात आ गई
हर तरफ हरियाली की बहार आया गई
शायद ए बैरंग बूंद तेरा ही जादू है
जिससे यहाँ रंगों की बरसात आ गई
चारों ओर नव तृणों की बहार आ गई
पर्यवरण में हर जगह मुस्कान छा गई
धरती पर फसलों की सौगात आ गई
हर तरफ हरियाली की बहार आया गई
शायद ए बैरंग बूंद तेरा ही जादू है
जिससे यहाँ रंगों की बरसात आ गई