मुक्तक
क्यों तेरी तमन्नाओं से मैं छिपता रहता हूँ?
क्यों अपनी बेबसी को मैं लिखता रहता हूँ?
नाजुक से हैं ख्याल मगर चुभते हैं जब कभी,
जाम की गलियों में अक्सर दिखता रहता हूँ!
मुक्तककार -#मिथिलेश_राय
क्यों तेरी तमन्नाओं से मैं छिपता रहता हूँ?
क्यों अपनी बेबसी को मैं लिखता रहता हूँ?
नाजुक से हैं ख्याल मगर चुभते हैं जब कभी,
जाम की गलियों में अक्सर दिखता रहता हूँ!
मुक्तककार -#मिथिलेश_राय