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15 May 2017 · 1 min read

मुक्तक

शाम होते ही तेरी याद आ गयी है!
शबनमी लम्हों की फरियाद आ गयी है!
वही तेरी जुल्फें वही बलखना तेरा,
फिर वही खुशबू मुद्दत बाद आ गयी है!

मुक्तककार- मिथिलेश राय #महादेव’

Language: Hindi
226 Views
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