मुक्तक
मैं दफ्न उजालों का डूबा हुआ शहर हूँ!
मैं वक्ते-तन्हाई में यादों का सफर हूँ!
ढूँढता हूँ खुद को खौफ के अंधेरों में,
मैं ख्वाहिशों की राह में बेखुदी का डर हूँ!
#महादेव_की_कविताऐं’
मैं दफ्न उजालों का डूबा हुआ शहर हूँ!
मैं वक्ते-तन्हाई में यादों का सफर हूँ!
ढूँढता हूँ खुद को खौफ के अंधेरों में,
मैं ख्वाहिशों की राह में बेखुदी का डर हूँ!
#महादेव_की_कविताऐं’