मुक्तक
आज दरिया उफन के पुरानी चली
बचपने को भुला कर जवानी चली
?
मोअत्तर हो गयी उस तरफ की फिजां
जिस तरफ दिल की वो रातरानी चली
?
हम जहाँ भी ———चले संग तेरे मेरे
प्यार की वो — मचलती कहानी चली
आज दरिया उफन के पुरानी चली
बचपने को भुला कर जवानी चली
?
मोअत्तर हो गयी उस तरफ की फिजां
जिस तरफ दिल की वो रातरानी चली
?
हम जहाँ भी ———चले संग तेरे मेरे
प्यार की वो — मचलती कहानी चली