Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jul 2023 · 6 min read

मुक्तक 3

1 से 51 तक मुक्तक

28
आएगी दीपावली जब जगमगाती रात होगी
आगमन लक्ष्मी का होगा, खुशियों की बरसात होगी
द्वार पर तोरण हँसेगा मुस्कुराएगी रंगोली
हर तरफ जब खूबसूरत दीपों की बारात होगी

29
वक़्त अपने लिये भी हमको न मिल पाता है
सारा ही तेरे खयालों में गुजर जाता है
जब कभी पूछते हो हमसे कि कैसे हैं हम
एक सैलाब निगाहों में उतर आता है

30
जीत किस्मत में अपनी लिखी ही नहीं
हमको इज्जत कभी भी मिली ही नहीं
अपनी साँसे तो कहने को चलती रहीं
ज़िन्दगी पर कहीं भी दिखी ही नहीं

31
हर पल बस तेरे ही सपने बुनती हूँ
तेरी यादों से महलों को चुनती हूँ
मेरे दिल में बस तेरे ही सरगम हैं
तेरी धड़कन अपने दिल में सुनती हूँ

32
हमारे बीच ये कैसी बताओ प्रीत है
हमारी हार में तुमने मनायी जीत है
दिखाने को हमारे इन लबों पर है हँसी
मगर इन धड़कनों में दर्द का संगीत है

33
अकेले हैं हम अब नहीं कोई भी गम
नही हममें दम अब नहीं कोई भी गम
है काँटों भरी हर डगर ज़िन्दगी की
घिरा भी है तम अब नहीं कोई भी गम

34
आँखों की मैं किताब पढ़ती हूँ
बात अपनी ग़ज़ल में कहती हूँ
मैं हूँ सूरज मुखी तो दिनकर तुम
मैं तुझे देखकर ही खिलती हूँ

35
दिल की जब भी सुनी कहानी है
बहता आंखों से खारा पानी है
हम मगर कुछ भी कर नहीं सकते
दर्द तो इश्क की रवानी है

36
गम में डूबी है धरा, लगती है बेहाल
बदल गया इंसान है, इसका करे मलाल
नदियाँ पर्वत ये गगन,सभी खो रहे रूप
दूषित ये पर्यावरण,बुरा सभी का हाल

37
किसलिये तकरार की बातें करें
आर की या पार की बातें करें
चार दिन की ज़िन्दगी हमको मिली
क्यों नहीं बस प्यार की बातें करें

38
प्यार समंदर से भी अपना गहरा है
लहरों पर जिसके बस दिल का पहरा है
कितने भी तूफान ज़माना ले आये
उफान मगर मुहब्बत का कब ठहरा है

39
राम नहीं मिलते ढूँढे से ,रावण की भरमार
और जलाते हैं हम रावण, बस ये ही हर बार
अच्छाई की पूछ नहीं है, रही बुराई जीत
जग में अब फलफूल रहा है, नफरत का व्यापार

40
मन का भँवरा बावला, रहता है बेचैन
सपनों के ही बाग में, फिरता है दिन रैन
जब भी सपने टूटते, होता चकनाचूर
लेकिन होने पर सफल,पा भी लेता चैन

41
ख्वाब में भी बस तुम्हें लिखते रहे
हम तुम्हारी याद में ऐसे बहे
सोते सोते आँसुओं से तकिये पर
छप गये हैं शब्द सारे अनकहे

42
महक रही हैं मेरे दिल की वादियाँ कितनी
चहक रही हैं धड़कनों की घाटियाँ कितनी
है बेकरार इंतज़ार में तुम्हारे दिल
मिलन की इसने बना डालीं झाँकियाँ कितनी

43
कटीली वक़्त की है देखो झाड़ियाँ कितनी
बनाई है दिलों में इसने दूरियाँ कितनी
पराए लग रहे हैं आज तो जो थे अपने
न जाने हारेंगे हम और बाजियाँ कितनी

44
उम्र की उगती कटती फसल भी रही
रोज कहती नई इक ग़ज़ल भी रही
जानती थी हकीकत तेरी ज़िन्दगी
ख्वाब के चुनती पर मैं महल भी रही

45
धूप कड़ी कितनी भी हो पर पत्थर नहीं पिघलते
फूल नहीं मिलते,काँटों पर अगर नहीं चलते
धन दौलत कितनी भी यहाँ पर लुटा लो चाहें
विश्वास के बिना मगर कभी दोस्त नहीं बनते

46
हमारा ये दिल है तुम्हारा कसम से
हमें कोई तुमसा न प्यारा कसम से
करें कैसे लेकिन मुहब्बत का दावा
न टूटेगा हमसे सितारा कसम से

47
इश्क से हो गई जो मुलाकात है
मुस्कुराने में कुछ खास ही बात है
खुशबुओं से है महका हुआ तन बदन
हो गुलों की रही खूब बरसात है

48
न डूबते आँखों में यूँ उनकी न ऐसे अपने कदम बहकते
न उड़ते पर बिन हवा में ऐसे न पक्षियों से यूँ हम चहकते
किया मुहब्बत ने हाल ऐसा कि भूल सुध बुध ही हम गये हैं
छिपा ज़माने से इश्क लेते अगर गुलों से नहीं महकते

49
प्यार को दिल में दबाएंगे तो मुश्किल होगी
बात होठों पे भी लाएंगे तो मुश्किल होगी
है भँवर में यूँ फँसी आज ये अपनी नैया
डूबने से न बचाएंगे तो मुश्किल होगी

50
हो रहीं हैं दिल से दिल की बात होने दो
आँसूओ की हो रही बरसात होने दो
आज का दिन नाम कर दो अपने दिल के
भूल गम को खुशियों की सौगात होने दो

51
हो सके अपनी हमें शाम कोई देना तुम
इन मुलाकातों को अंजाम कोई देना तुम
चुन लिया हमने तुम्हें अपना ही जीवन साथी
प्यार को तुम भी नया नाम कोई देना तुम

27
जहाँ वफ़ा है वहीं रहती बेवफाई है
ये इश्क चीज़ भी कमबख्त क्या बनाई है
हमीं को हमसे जुदा करता इस तरह से ये
लगे है जान भी अपनी हुई पराई है

26
ये कैसी इश्क ने दिल में अगन लगाई है
जलन भी दिल को लगे ज्यूँ मिली दवाई है
न होश रहता है अपना नहीं खबर कोई
खुदा ने रीत इबादत की ये बनाई है

25
तेरे ही मुस्कुराने से नज़ारे मुस्कुराते हैं
तेरे यूँ रूठ जाने से नज़ारे रूठ जाते हैं
बहारें आती जाती हैं तुझी से मेरे जीवन में
मिले जब जब हमारे सुर नज़ारे गीत गाते हैं
15-12-2020
24
जब राधिका तुम्हारी मैं तुम मेरे श्याम हो
तो प्यार को हमारे इबादत ही नाम दो
अधरों की बाँसुरी बना लो मुझको साँवरे
बिछड़े न हम कभी यूँ मेरा हाथ थाम लो

23
झूम रहा है डाल डाल पर तितली सा मन
लहर रहा है झर झर झरते पत्तों सा तन
भूल गये है हम तो अपनी सुध-बुध सारी
कितना सुंदर है तेरी यादों का मधुवन
22
ज़िन्दगी लाई तू कम कयामत नहीं
फिर भी तुझसे है कोई शिकायत नहीं
काम अपनों के आना है फितरत मेरी
पर जताना उसे मेरी आदत नहीं

21
यूँ हमने हुस्न वाले तो बहुत मगरूर देखे हैं
महल वो खण्डरों में होते चकनाचूर देखे हैं
उजाला कर दे जो मौजूदगी से ही जरा अपनी
तुम्हारी सादगी में ही वो हमने नूर देखे हैं
20
दिल की बातें थोड़ी थोड़ी बोल रही हूँ
मन की गाँठे धीरे धीरे खोल रही हूँ
अहसासों का भरा ख़ज़ाना दिल में था
शब्द तुला पर रखकर उनको तोल रही हूँ
19
यूँ कहने को तो सारा ही ज़माना ये हमारा है
तुम्हारे बिन हुआ सूना मगर अब हर नज़ारा है
गुजर जाएगी यूँ ही ये बची भी ज़िन्दगी हँसते
हमारे पास यादों के ख़ज़ाने का सहारा है
18
मुझ जैसी मेरी परछाई
जोड़ी रब ने खूब बनाई
साथ रहे मेरे ये हरदम
मगर कभी भी काम न आई
17
प्रेम का अहसास देकर तुम कहाँ पर खो गये
खुशियों का आभास देकर तुम कहाँ पर खो गये
जी रहे हैं हम मगर दिल तो तुम्हारे पास है
यूँ हमें मधुमास देकर तुम कहाँ पर खो गये

16
बहुत भयानक हमने मंजर देखा है
आँखों में बस आँसू भरकर देखा है
मजदूरों की दशा बतायें क्या सबको
कोरोना को करते बेघर देखा है

15
जख्म तेरे दिये अब तलक हैं हरे
सोचता वक्त भी इनको कैसे भरे
खौफ है प्यार का हम पे अब इस कदर
नाम भी इसका सुन ले दिल ये डरे
14
हमारा दिल कभी आबाद होगा
परिंदों की तरह आज़ाद होगा
हमारा जिक्र तो होगा यहाँ पर
मगर वो सब हमारे बाद होगा
13
तुम्हें चाहते तो हैं अपना बनाना
मगर रोक लेता है हमको ज़माना
नहीं ज़िन्दगी सिर्फ होती हमारी
हमें रिश्तों को भी है होता निभाना
12
गीत मेरा जब उन्होंने सुन लिया होगा
आंसुओं का अपने खारा जल पिया होगा
प्रीत की दिल में हुई दीपावली होगी
यादों ने मेरी जलाया फिर दिया होगा

11
यशोदा नन्दन नन्दकिशोर
प्यारा नटखट माखनचोर
हर कोई जिसका दीवाना
बाँधे ऐसी प्रीत की डोर

10
वो जीते हम हारे हैं
चर्चे मगर हमारे है
देख इसे डूबे उनके
मनसूबे ही सारे हैं

9
ये अँधेरे जहाँ भी जायेंगे
दीप जाकर वहीं जलाएंगे
हौसलों का प्रकाश जब सँग है
कैसे फिर तम हमें डराएंगे

8
ज़िन्दगी खुशनुमा बनायेंगे
अपने दिल में उन्हें बसायेंगे
कौन जाने किधर से वो गुजरें
फूल हर राह में बिछायेंगे
28-11-2020

7
जीस्त तेरी किताब पढ़ती हूँ
रोज पन्ने नये पलटती हूँ
तू भी थकती नहीं है लिख लिख कर
मैं भी पढ़ते हुये न थकती हूँ

6
नज़र को घुमा कर जरा देखियेगा
हमें ही हमें हर जगह पाइयेगा
तुम्हें और भी याद आने लगेंगे
भुला कर हमें देख बस लीजिये गा
25-11-2020

5
मन को वृंदावन किया तन को कंचन कर दिया
श्याम तेरे ध्यान ने तो मुझको जोगन कर दिया
अब न पर्दा और डर है इस ज़माने का कोई
हमने तो पूरा ही जीवन तुझको अर्पण कर दिया
24-11-2020

4
आँखें पढ़ना भी उन्हें आता नहीं
और मैं जज्बात कह पाता नहीं
है अधूरी प्यार की ये दास्ताँ
दर्द इतना अब सहा जाता नहीं
3
जब तेरे अधरों सजी ये श्याम तेरी बाँसुरी
सौत तब मुझको लगी ये श्याम तेरी बाँसुरी
हो गई जोगन बिछड़कर तुझसे तेरी राधिका
अब तो मेरी जान ही ये श्याम तेरी बाँसुरी
2
भावों के दीपक जलायें प्यार बस उनमें भरें
नफरतों के तम यहाँ पर जिससे घिरने से डरें
अंधविश्वासों को छोड़ें बांटे खुशियाँ और गम
ज्ञान का दीपक जलायें मन को उजियाला करें

1
दीप हँसते हुये जल रहे ।
लग खुशी के रहे कहकहे ।
रात दीपावली की सजी ,
सब अँधेरे इसी में बहे
तम यहाँ अब को’ई क्यों सहे।

डॉ अर्चना गुप्ता

15-11-2020
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

Language: Hindi
1 Like · 181 Views
Books from Dr Archana Gupta
View all

You may also like these posts

राम नाम सर्वश्रेष्ठ है,
राम नाम सर्वश्रेष्ठ है,
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
तेरा मेरा नाता
तेरा मेरा नाता
Akash RC Sharma
"अक्सर बहुत जल्दी कर देता हूंँ ll
पूर्वार्थ
फूल शूल पादप फसल ,
फूल शूल पादप फसल ,
Dr. Sunita Singh
बेबसी!
बेबसी!
कविता झा ‘गीत’
"पर्दा"
Dr. Kishan tandon kranti
3146.*पूर्णिका*
3146.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
" ठिठक गए पल "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
स्वर्णमुखी छंद
स्वर्णमुखी छंद
Rambali Mishra
देश सोने की चिड़िया था यह कभी ...
देश सोने की चिड़िया था यह कभी ...
Sunil Suman
बहुत अंदर तक जला देती हैं वो शिकायतें,
बहुत अंदर तक जला देती हैं वो शिकायतें,
शेखर सिंह
स्त्री बाकी है
स्त्री बाकी है
Arun Prasad
अच्छा खाओ अच्छा पहनो
अच्छा खाओ अच्छा पहनो
अरशद रसूल बदायूंनी
करवा चौथ का चांद
करवा चौथ का चांद
मधुसूदन गौतम
तुम्हें भुलाने का सामर्थ्य नहीं है मुझमें
तुम्हें भुलाने का सामर्थ्य नहीं है मुझमें
Keshav kishor Kumar
एक तस्वीर बनाने वाले की तस्वीर बाजारों में नही बिक रही थी।
एक तस्वीर बनाने वाले की तस्वीर बाजारों में नही बिक रही थी।
Rj Anand Prajapati
जय माता दी ।
जय माता दी ।
Anil Mishra Prahari
लोककवि रामचरन गुप्त के रसिया और भजन
लोककवि रामचरन गुप्त के रसिया और भजन
कवि रमेशराज
सच्चा प्रेम
सच्चा प्रेम
Sagar Yadav Zakhmi
जिंदगी आगाज है
जिंदगी आगाज है
Manoj Shrivastava
जिनमें कोई बात होती है ना
जिनमें कोई बात होती है ना
Ranjeet kumar patre
कभी ख़ुशी कभी ग़म
कभी ख़ुशी कभी ग़म
Dr. Rajeev Jain
13. *फरेबी दुनिया*
13. *फरेबी दुनिया*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
"जीवन का सच्चा सुख"
Ajit Kumar "Karn"
ਸ਼ਿਕਵੇ ਉਹ ਵੀ ਕਰਦਾ ਰਿਹਾ
ਸ਼ਿਕਵੇ ਉਹ ਵੀ ਕਰਦਾ ਰਿਹਾ
Surinder blackpen
"जिस बिल्ली के भाग से छींका टूट जाए, उसे कुछ माल निरीह चूहों
*प्रणय*
आजकल की पीढ़ी अकड़ को एटीट्यूड समझती है
आजकल की पीढ़ी अकड़ को एटीट्यूड समझती है
Sonam Puneet Dubey
यादों के संसार की,
यादों के संसार की,
sushil sarna
घर छूटा तो बाकी के असबाब भी लेकर क्या करती
घर छूटा तो बाकी के असबाब भी लेकर क्या करती
Shweta Soni
वामा हूं
वामा हूं
indu parashar
Loading...