मुक्तक
तुम बिन कैसे हम जी सकेंगे?
जहर अश्क का हम पी सकेंगे!
बेशुमार गम हैं जुदाई के,
जख्म दामन का हम सी सकेंगे!
मुक्तककार- #महादेव’ (17)
तुम बिन कैसे हम जी सकेंगे?
जहर अश्क का हम पी सकेंगे!
बेशुमार गम हैं जुदाई के,
जख्म दामन का हम सी सकेंगे!
मुक्तककार- #महादेव’ (17)