मुक्तक
क़तआ
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मेरे जीवन पर तेरा अधिकार है
तेरे क़दमों में मेरा संसार है
देखी है जब से तेरी सूरत सनम
दिल पे मेरे न रहा इख़्तियार है
(2)
क़तआ
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प्यार जब से जुदा हो गया
दर्द का सिल सिला हो गया
बेवफ़ा को दिया था ये दिल
काम ऐसा बुरा हो गया