Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Apr 2017 · 1 min read

मुक्तक

उठती हुई नजर में एक आशा भी होती है!
मंजिल को छूने की अभिलाषा भी होती है!
रोशनी मौजूद है अभी जिन्दगी में लेकिन,
जज्बों के टूटने की परिभाषा भी होती है!

मुक्तककार- #महादेव'(27)

Language: Hindi
236 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

मुक्तक...छंद-रूपमाला/मदन
मुक्तक...छंद-रूपमाला/मदन
डॉ.सीमा अग्रवाल
मुकद्दर से बना करते हैं रिश्ते इस ज़माने में,
मुकद्दर से बना करते हैं रिश्ते इस ज़माने में,
Phool gufran
आएगा ज़माना उलटबांसी का, कह गये थे संत कबीर
आएगा ज़माना उलटबांसी का, कह गये थे संत कबीर
Shreedhar
रिश्ते सालों साल चलते हैं जब तक
रिश्ते सालों साल चलते हैं जब तक
Sonam Puneet Dubey
ज़िंदगी के सौदागर
ज़िंदगी के सौदागर
Shyam Sundar Subramanian
नाहक ही ख्वाब में जी कर क्या करेंगे ,
नाहक ही ख्वाब में जी कर क्या करेंगे ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
इसलिए कहता हूं तुम किताब पढ़ो ताकि
इसलिए कहता हूं तुम किताब पढ़ो ताकि
Ranjeet kumar patre
आशा की किरण
आशा की किरण
शशि कांत श्रीवास्तव
मुड़े पन्नों वाली किताब
मुड़े पन्नों वाली किताब
Surinder blackpen
गलतियां
गलतियां
Nitin Kulkarni
तमाम उम्र जमीर ने झुकने नहीं दिया,
तमाम उम्र जमीर ने झुकने नहीं दिया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चाँद से मुलाकात
चाँद से मुलाकात
Kanchan Khanna
बात मन की
बात मन की
surenderpal vaidya
मेरी पुकार
मेरी पुकार
Ahtesham Ahmad
वो जो है नहीं....
वो जो है नहीं....
Madhavi Srivastava
इश्क की वो  इक निशानी दे गया
इश्क की वो इक निशानी दे गया
Dr Archana Gupta
बिन मांगे ही खुदा ने भरपूर दिया है
बिन मांगे ही खुदा ने भरपूर दिया है
हरवंश हृदय
"शाम-सवेरे मंदिर जाना, दीप जला शीश झुकाना।
आर.एस. 'प्रीतम'
होती है
होती है
©️ दामिनी नारायण सिंह
"ओट पर्दे की"
Ekta chitrangini
ऋषि का तन
ऋषि का तन
Kaviraag
कभी हसरतें थी कि, तेरे शहर में मेरा मकां होगा
कभी हसरतें थी कि, तेरे शहर में मेरा मकां होगा
Manisha Manjari
वह भलामानस / मुसाफिर बैठा
वह भलामानस / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
राजनीति के खेल निराले
राजनीति के खेल निराले
Mukesh Kumar Rishi Verma
2572.पूर्णिका
2572.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
दोहा पंचक. . . . . नजर
दोहा पंचक. . . . . नजर
sushil sarna
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
इलज़ाम
इलज़ाम
Lalni Bhardwaj
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Ritu Asooja
Loading...