Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Apr 2017 · 1 min read

मुक्तक

राहे-जिन्द़गी में भटकना बहुत जरूरी है!
दर्द के तूफान को समझना बहुत जरूरी है!
तुम टूटती वफाओं को मत रोको बिखरने से,
बेबसी में सब्र को परखना बहुत जरूरी है!

मुक्तककार-#महादेव'(27)

Language: Hindi
467 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

नारी का क्रोध
नारी का क्रोध
लक्ष्मी सिंह
यह जो लोग सताए बैठे हैं
यह जो लोग सताए बैठे हैं
Ranjeet kumar patre
एक सड़क जो जाती है संसद
एक सड़क जो जाती है संसद
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
3769.💐 *पूर्णिका* 💐
3769.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
रिसर्च
रिसर्च
Rambali Mishra
कविता के मीत प्रवासी- से
कविता के मीत प्रवासी- से
प्रो०लक्ष्मीकांत शर्मा
अनकहे अल्फाज़
अनकहे अल्फाज़
Karuna Bhalla
नासाज़ ऐ-दिल
नासाज़ ऐ-दिल
kumar Deepak "Mani"
जिंदगी बंद दरवाजा की तरह है
जिंदगी बंद दरवाजा की तरह है
Harminder Kaur
Extra people
Extra people
पूर्वार्थ
कोई मेरा है कहीं
कोई मेरा है कहीं
Chitra Bisht
है यह भी एक सत्य
है यह भी एक सत्य
उमा झा
~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~
Hanuman Ramawat
दरवाज़े
दरवाज़े
Bodhisatva kastooriya
"" *सपनों की उड़ान* ""
सुनीलानंद महंत
अपने दर्द को अपने रब से बोल दिया करो।
अपने दर्द को अपने रब से बोल दिया करो।
इशरत हिदायत ख़ान
अच्छा कार्य करने वाला
अच्छा कार्य करने वाला
नेताम आर सी
खुद के हाथ में पत्थर,दिल शीशे की दीवार है।
खुद के हाथ में पत्थर,दिल शीशे की दीवार है।
Priya princess panwar
-मोहब्बत का रंग लगाए जाओ -
-मोहब्बत का रंग लगाए जाओ -
bharat gehlot
*आओ पूजें वृक्ष-वट, करता पर-उपकार (कुंडलिया)*
*आओ पूजें वृक्ष-वट, करता पर-उपकार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
जलती दीवानगी
जलती दीवानगी
C S Santoshi
हर चीज़ मुकम्मल लगती है,तुम साथ मेरे जब होते हो
हर चीज़ मुकम्मल लगती है,तुम साथ मेरे जब होते हो
Shweta Soni
☝️      कर्म ही श्रेष्ठ है!
☝️ कर्म ही श्रेष्ठ है!
Sunny kumar kabira
संवेदना ही सौन्दर्य है
संवेदना ही सौन्दर्य है
Ritu Asooja
काश हम भी दिल के अंदर झांक लेते,
काश हम भी दिल के अंदर झांक लेते,
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
■ प्रभात चिंतन...
■ प्रभात चिंतन...
*प्रणय*
"अहम का वहम"
Dr. Kishan tandon kranti
जो भी आया प्रेम से,इनमे गया समाय ।
जो भी आया प्रेम से,इनमे गया समाय ।
RAMESH SHARMA
प्रेम
प्रेम
Shyam Sundar Subramanian
Loading...