मुक्तक
मुक्तक
चाँद की लालसा में धरती से मुख क्यों मोड़ लें हम
अवसर की तलाश में रिश्तों से मुख क्यों मोड़ लें हम l
किसी के दुख दर्द से आंखें क्यों फ़ेर लें हम
क्यों नहीं किसी के दुख दर्द में साथी होते हम ll
अनिल कुमार गुप्ता अंजुम
मुक्तक
चाँद की लालसा में धरती से मुख क्यों मोड़ लें हम
अवसर की तलाश में रिश्तों से मुख क्यों मोड़ लें हम l
किसी के दुख दर्द से आंखें क्यों फ़ेर लें हम
क्यों नहीं किसी के दुख दर्द में साथी होते हम ll
अनिल कुमार गुप्ता अंजुम