मुक्तक
अब न चिंगारियों को हवा दीजिए।
आग नफ़रत की यारो बुझा दीजिए।
बैर दिल से मिटाकर रहो साथ सब,
जान अपनी वतन पर लुटा दीजिए।
अब न चिंगारियों को हवा दीजिए।
आग नफ़रत की यारो बुझा दीजिए।
बैर दिल से मिटाकर रहो साथ सब,
जान अपनी वतन पर लुटा दीजिए।