मुक्तक
मुक्तक
मैं मुस्कराता हूँ तो जुल्फें सँवार लेती है
न देखूँ तो चेहरा बिगाड़ लेती है
मुझसे इश्क करती है वो परचून वाली
मेरे नाम से सबको उधार देती है
-दुष्यंत ‘बाबा’
मुक्तक
मैं मुस्कराता हूँ तो जुल्फें सँवार लेती है
न देखूँ तो चेहरा बिगाड़ लेती है
मुझसे इश्क करती है वो परचून वाली
मेरे नाम से सबको उधार देती है
-दुष्यंत ‘बाबा’