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2 Jun 2024 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक
मैं मुस्कराता हूँ तो जुल्फें सँवार लेती है
न देखूँ तो चेहरा बिगाड़ लेती है
मुझसे इश्क करती है वो परचून वाली
मेरे नाम से सबको उधार देती है
-दुष्यंत ‘बाबा’

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