मुक्तक
प्रथम् अरूणोदय अर्घ्य से अंबर जहाँ प्रफुल्लित होता है,
नमन हे ! भारत भूमि तेरा सौंदर्य देख देव हर्षित होता है,
नित नूतन अवतरण ले ईश्वर मेरे देश में रमण करते हैं-
प्यारे वतन तेरी पनाह में ये जीवन सुफलित होता है।
संतोष सोनी “तोषी”
जोधपुर (राज.)