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4 Feb 2024 · 1 min read

मुक्तक

शबरी हर्षित राम निलय आएँ,
सँग में भ्राता श्री लक्ष्मन आएँ,

मेहप्रिय मृग वन में नृत्य करें,
आएँ रघुकुल सरसिज घन आएँ,

बेर प्रेम के चख श्रमणा देती,
लक्ष्मण प्रीत नहीं ये रख पाते-

शबरी के प्रभु तारणहार बने,
करने धन्य-धन्य जीवन आएँ।

संतोष सोनी “तोषी”
जोधपुर ( राज.)

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